Uncategorized
पुरानी कार खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (50 ज़रूरी टिप्स)
आज के समय में सेकंड हैंड कार खरीदना एक स्मार्ट फैसला हो सकता है — अगर सही जानकारी और थोड़ी सतर्कता रखी जाए। नीचे 50 जरूरी बातें दी गई हैं जो पुरानी कार खरीदने से पहले ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए।
- कार का सर्विस रिकॉर्ड देखें – पता करें कि सर्विस नियमित रूप से हुई है या नहीं।
- ओडोमीटर चेक करें – किलोमीटर रीडिंग में छेड़छाड़ तो नहीं की गई।
- आरसी बुक (RC) वैध है या नहीं – नाम, मॉडल और इंजन नंबर मिलाएँ।
- इंश्योरेंस वैलिडिटी देखें – कार पर एक्टिव इंश्योरेंस होना जरूरी है।
- कार का नंबर किस राज्य का है – दूसरे राज्य की गाड़ी ट्रांसफर में झंझट दे सकती है।
- कार पर कोई चालान तो नहीं – RTO या Parivahan साइट पर जांच करें।
- एक्सीडेंट हिस्ट्री पूछें – बड़ा रिपेयर या फ्रेम डैमेज है क्या?
- कार की पेंट क्वालिटी देखें – कहीं दोबारा पेंट की गई हो तो शक करें।
- बॉडी गैप्स चेक करें – असमान गैप एक्सीडेंट या रीपेंटिंग का संकेत हो सकता है।
- इंजन स्टार्ट करते ही स्मोक देखें – ब्लू या ब्लैक स्मोक मतलब इंजन दिक्कत।
- टेस्ट ड्राइव लें – गाड़ी की आवाज़, गियर शिफ्ट और ब्रेकिंग महसूस करें।
- ब्रेकिंग पर ध्यान दें – वाइब्रेशन या खिंचाव तो नहीं आ रहा।
- सस्पेंशन चेक करें – उबड़-खाबड़ सड़क पर शोर तो नहीं।
- स्टीयरिंग हल्की या भारी तो नहीं – हाइड्रोलिक या EPS दोनों की जांच करें।
- क्लच की फील देखें – बहुत ऊपर पकड़ रहा है तो रिप्लेसमेंट चाहिए।
- गियरबॉक्स स्मूद है या नहीं – झटका या आवाज़ तो नहीं आती?
- AC की परफॉर्मेंस जांचें – ठंडी हवा आ रही है या नहीं।
- इलेक्ट्रिकल्स देखें – हेडलाइट, इंडिकेटर, वाइपर सब टेस्ट करें।
- टायर्स की कंडीशन देखें – ट्रेड घिसे हैं या नहीं।
- स्पेयर टायर और टूल किट चेक करें – कई बार गायब होती है।
- बैटरी की उम्र जांचें – 2–3 साल पुरानी हो तो जल्द बदलनी पड़ सकती है।
- विंडशील्ड में क्रैक तो नहीं – छोटी दरारें भी बाद में बड़ी समस्या बनती हैं।
- डोर सीलिंग और लॉक काम कर रहे हैं या नहीं – पानी अंदर न जाए।
- सीट बेल्ट काम कर रहे हैं – सेफ्टी से समझौता न करें।
- इंटीरियर की सफाई और बदबू देखें – फफूंदी या बदबू पुराने लीकेज की निशानी है।
- कार के नीचे झुककर देखें – ऑयल लीक या जंग तो नहीं।
- एग्जॉस्ट पाइप से धुआँ रंग देखें – ब्लैक/ब्लू मतलब इंजन समस्या।
- इंजन आयल की स्थिति देखें – गाढ़ा या गंदा तेल खराब मेंटेनेंस बताता है।
- कूलेंट का रंग जांचें – ब्राउन या मटमैला रंग मतलब इंजन हेड गड़बड़।
- कार की वैरिएंट और मॉडल साल देखें – पुराने मॉडल में स्पेयर पार्ट्स महंगे पड़ते हैं।
- कार के मालिक की गिनती देखें – ज़्यादा मालिक मतलब ज़्यादा वियर एंड टियर।
- इंजन नंबर और चेसिस नंबर मैच करें – RC और गाड़ी पर दोनों की पुष्टि करें।
- म्यूजिक सिस्टम, नेविगेशन और कैमरा टेस्ट करें – छोटी चीजें भी लागत बढ़ा सकती हैं।
- डैशबोर्ड की लाइट्स जांचें – कोई वॉर्निंग लाइट ऑन तो नहीं है।
- कार का टायर ब्रांड और साइज मैच कर रहा है? – मिक्स ब्रांड असमान ग्रिप देता है।
- फ्यूल टाइप और माइलेज की तुलना करें – पेट्रोल/डीज़ल/सीएनजी क्या आपकी जरूरत के हिसाब से है?
- सीएनजी फिटिंग (अगर है) देखें – अप्रूव्ड और लीकेज फ्री है या नहीं।
- RTO नॉमिनल ट्रांसफर फीस जानें – कई दलाल ज़्यादा वसूलते हैं।
- ब्रोकर से डील कर रहे हैं तो उसकी फीस फिक्स करें – पहले से साफ बात करें।
- सर्विस सेंटर पर प्री-परचेज इंस्पेक्शन कराएं – प्रोफेशनल चेक से सब साफ हो जाएगा।
- गाड़ी के सारे चाबियाँ लें – स्पेयर की खोई तो मुसीबत।
- पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लें – वैलिड PUC जरूरी है।
- कार का इंश्योरेंस नाम ट्रांसफर कराएं – बाद में दावा न अटक जाए।
- RC ट्रांसफर की प्रक्रिया समझें – फॉर्म 29 और 30 की जरूरत पड़ती है।
- ओनर का आईडी प्रूफ रखें – भविष्य में विवाद से बचेंगे।
- कार की टेस्ट ड्राइव दिन के उजाले में करें – रात में खामियां छिप जाती हैं।
- बाहरी एक्सेसरी की वैल्यू न जोड़ें – गाड़ी की हालत असली कीमत तय करती है।
- ऑनलाइन कीमतों की तुलना करें – ओएलएक्स, कारवाले आदि पर समान मॉडल देखें।
- कार का रीसेल वैल्यू जानें – पुराने मॉडल पर पैसा फंस सकता है।
- फाइनल पेमेंट बैंक ट्रांसफर से करें – कैश से बचें, ट्रेस रहना जरूरी है।
- डील के बाद रिसीविंग और सेल एग्रीमेंट बनवाएँ – दोनों पक्षों के सिग्नेचर जरूरी हैं।
अगर आप इन 50 बातों का ध्यान रखेंगे, तो सेकंड हैंड कार खरीदना एक सुरक्षित और फायदेमंद सौदा साबित होगा। थोड़ा रिसर्च, थोड़ा धैर्य — और गाड़ी आपकी उम्मीदों से ज़्यादा चल निकलेगी।