आज के समय में सेकंड हैंड कार खरीदना एक स्मार्ट फैसला हो सकता है — अगर सही जानकारी और थोड़ी सतर्कता रखी जाए। नीचे 50 जरूरी बातें दी गई हैं जो पुरानी कार खरीदने से पहले ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए।

  1. कार का सर्विस रिकॉर्ड देखें – पता करें कि सर्विस नियमित रूप से हुई है या नहीं।
  2. ओडोमीटर चेक करें – किलोमीटर रीडिंग में छेड़छाड़ तो नहीं की गई।
  3. आरसी बुक (RC) वैध है या नहीं – नाम, मॉडल और इंजन नंबर मिलाएँ।
  4. इंश्योरेंस वैलिडिटी देखें – कार पर एक्टिव इंश्योरेंस होना जरूरी है।
  5. कार का नंबर किस राज्य का है – दूसरे राज्य की गाड़ी ट्रांसफर में झंझट दे सकती है।
  6. कार पर कोई चालान तो नहीं – RTO या Parivahan साइट पर जांच करें।
  7. एक्सीडेंट हिस्ट्री पूछें – बड़ा रिपेयर या फ्रेम डैमेज है क्या?
  8. कार की पेंट क्वालिटी देखें – कहीं दोबारा पेंट की गई हो तो शक करें।
  9. बॉडी गैप्स चेक करें – असमान गैप एक्सीडेंट या रीपेंटिंग का संकेत हो सकता है।
  10. इंजन स्टार्ट करते ही स्मोक देखें – ब्लू या ब्लैक स्मोक मतलब इंजन दिक्कत।
  11. टेस्ट ड्राइव लें – गाड़ी की आवाज़, गियर शिफ्ट और ब्रेकिंग महसूस करें।
  12. ब्रेकिंग पर ध्यान दें – वाइब्रेशन या खिंचाव तो नहीं आ रहा।
  13. सस्पेंशन चेक करें – उबड़-खाबड़ सड़क पर शोर तो नहीं।
  14. स्टीयरिंग हल्की या भारी तो नहीं – हाइड्रोलिक या EPS दोनों की जांच करें।
  15. क्लच की फील देखें – बहुत ऊपर पकड़ रहा है तो रिप्लेसमेंट चाहिए।
  16. गियरबॉक्स स्मूद है या नहीं – झटका या आवाज़ तो नहीं आती?
  17. AC की परफॉर्मेंस जांचें – ठंडी हवा आ रही है या नहीं।
  18. इलेक्ट्रिकल्स देखें – हेडलाइट, इंडिकेटर, वाइपर सब टेस्ट करें।
  19. टायर्स की कंडीशन देखें – ट्रेड घिसे हैं या नहीं।
  20. स्पेयर टायर और टूल किट चेक करें – कई बार गायब होती है।
  21. बैटरी की उम्र जांचें – 2–3 साल पुरानी हो तो जल्द बदलनी पड़ सकती है।
  22. विंडशील्ड में क्रैक तो नहीं – छोटी दरारें भी बाद में बड़ी समस्या बनती हैं।
  23. डोर सीलिंग और लॉक काम कर रहे हैं या नहीं – पानी अंदर न जाए।
  24. सीट बेल्ट काम कर रहे हैं – सेफ्टी से समझौता न करें।
  25. इंटीरियर की सफाई और बदबू देखें – फफूंदी या बदबू पुराने लीकेज की निशानी है।
  26. कार के नीचे झुककर देखें – ऑयल लीक या जंग तो नहीं।
  27. एग्जॉस्ट पाइप से धुआँ रंग देखें – ब्लैक/ब्लू मतलब इंजन समस्या।
  28. इंजन आयल की स्थिति देखें – गाढ़ा या गंदा तेल खराब मेंटेनेंस बताता है।
  29. कूलेंट का रंग जांचें – ब्राउन या मटमैला रंग मतलब इंजन हेड गड़बड़।
  30. कार की वैरिएंट और मॉडल साल देखें – पुराने मॉडल में स्पेयर पार्ट्स महंगे पड़ते हैं।
  31. कार के मालिक की गिनती देखें – ज़्यादा मालिक मतलब ज़्यादा वियर एंड टियर।
  32. इंजन नंबर और चेसिस नंबर मैच करें – RC और गाड़ी पर दोनों की पुष्टि करें।
  33. म्यूजिक सिस्टम, नेविगेशन और कैमरा टेस्ट करें – छोटी चीजें भी लागत बढ़ा सकती हैं।
  34. डैशबोर्ड की लाइट्स जांचें – कोई वॉर्निंग लाइट ऑन तो नहीं है।
  35. कार का टायर ब्रांड और साइज मैच कर रहा है? – मिक्स ब्रांड असमान ग्रिप देता है।
  36. फ्यूल टाइप और माइलेज की तुलना करें – पेट्रोल/डीज़ल/सीएनजी क्या आपकी जरूरत के हिसाब से है?
  37. सीएनजी फिटिंग (अगर है) देखें – अप्रूव्ड और लीकेज फ्री है या नहीं।
  38. RTO नॉमिनल ट्रांसफर फीस जानें – कई दलाल ज़्यादा वसूलते हैं।
  39. ब्रोकर से डील कर रहे हैं तो उसकी फीस फिक्स करें – पहले से साफ बात करें।
  40. सर्विस सेंटर पर प्री-परचेज इंस्पेक्शन कराएं – प्रोफेशनल चेक से सब साफ हो जाएगा।
  41. गाड़ी के सारे चाबियाँ लें – स्पेयर की खोई तो मुसीबत।
  42. पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लें – वैलिड PUC जरूरी है।
  43. कार का इंश्योरेंस नाम ट्रांसफर कराएं – बाद में दावा न अटक जाए।
  44. RC ट्रांसफर की प्रक्रिया समझें – फॉर्म 29 और 30 की जरूरत पड़ती है।
  45. ओनर का आईडी प्रूफ रखें – भविष्य में विवाद से बचेंगे।
  46. कार की टेस्ट ड्राइव दिन के उजाले में करें – रात में खामियां छिप जाती हैं।
  47. बाहरी एक्सेसरी की वैल्यू न जोड़ें – गाड़ी की हालत असली कीमत तय करती है।
  48. ऑनलाइन कीमतों की तुलना करें – ओएलएक्स, कारवाले आदि पर समान मॉडल देखें।
  49. कार का रीसेल वैल्यू जानें – पुराने मॉडल पर पैसा फंस सकता है।
  50. फाइनल पेमेंट बैंक ट्रांसफर से करें – कैश से बचें, ट्रेस रहना जरूरी है।
  51. डील के बाद रिसीविंग और सेल एग्रीमेंट बनवाएँ – दोनों पक्षों के सिग्नेचर जरूरी हैं।

अगर आप इन 50 बातों का ध्यान रखेंगे, तो सेकंड हैंड कार खरीदना एक सुरक्षित और फायदेमंद सौदा साबित होगा। थोड़ा रिसर्च, थोड़ा धैर्य — और गाड़ी आपकी उम्मीदों से ज़्यादा चल निकलेगी।

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About Ishani Bakshi

Ishani Bakshi believes every road in India tells a story — you just have to slow down enough to hear it. She started her journeys with short weekend drives from Delhi and soon found herself sleeping under starlit skies, exploring hidden camping spots, and learning how freedom fits inside a car. Through StayOnWheels, Ishani shares her real, unfiltered travel experiences — guiding readers through routes, reflections, and the art of finding calm in motion.

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